शाम से आँख में नमी सी है – जगजित सिंघ
स्वर – जगजित सिंघ
शायर – गुलज़ार
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
दफ़्न कर दो हमें कि साँस मिले
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है
वक़्त रहता नहीं कहीं छुपकर
इस की आदत भी आदमी सी है
कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी
एक तस्लीम लाज़मी सी है
झुकी झुकी सी नज़र – जगजित सिंघ
शायर – कैफी आझमी
स्वर – जगजित सिंघ
झुकी झुकी सी नज़र बेकरार है के नही,
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है के नही,
तू अपने दिल की जवाँ धडकनों को गिन के बता,
मेरी तरह तेरा दिल बेकरार है के नही,
वो पल के जिस में मोहब्बत जवाँ होती है,
उस एक पल का तुझे इंतज़ार है के नही,
तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को,
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है के नही,
Dil Ke Asfsane Nigahon – Noor Jahan
Singer – Noor Jahaan
Poet – Ahmad Rahi
Dil ke afsaane nigahon ki jubaan tak pahunche
Baat chal nikli hi hai ab dekhen kahan tak pahunche
Sahme sahme hue jazabaat ne angadaai li
Soye soye nagmaat ne angadaai li
Khud se sharamaye hue un ke jahan tak pahunche
Baat chal nikli hi hai
Dil ke afsane….
Jinki aankhon ne kai baar kiye hum se sawaal
Un ki yaadon se mahakane lage viraan khayaal
Le ke daman me bahaaren wo khizaan tak pahunche
Baat chal nikli hi hai
Dil ke afsane….
दिल के अफसाने निगाहोँ से – नूरजहाँ
स्वर – नूरजहाँ
शायर – अहमद राही
दिल के अफसाने निगाहोँ की ज़ुबाँ तक पहूंचे
बात चल निकली ही है अब देखें कहाँ तक पहूंचे
सहमे सहमे हुए जज़बातने अंगडाई ली
सोये सोये नग्मात ने अंगडाई ली
खुद से शरमाये हुए उन के जहाँ तक पहुंचे
बात चल निकली ही है….
दिल के अफसाने
जिनकी आंखोँ ने कई बार किए हम से सवाल
उन की यादों से महकने लगे विरान खयाल
ले के दामन में बहारें वो खिज़ाँ तक पहुंचे
बात चल निकली ही है….
दिल के अफसाने
Shaam Se Aankh Me – Jagjit Singh
Singer – Jagjit Singh
Poet – Gulzar
shaam se aankh mein nammi si hai
aaj phir aap ki kami si hai
shaam se aankh mein nami si hai
dafan karr do humme ke sans mille
nabaj kuch derr se thami si hai
aaj phir aap ki kammi si hai
waqt rehta nahin kahi tikk karr
iski aadat bhi aadami si hai
iss ki aadat bhi aadami si hai
aaj phir aap ki kammi si hai
koi rishta nahin raha phir bhi ek tasvir lajmi si hai
shaam se aankh mein nammi si hai
aaj phir aap ki kammi si hai
Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho – Jagjit Singh
Singer – Jagjit Singh
Poet – Kaifi Aazmi
Tum Itna Jo Muskura Rahe Ho
Kya Gham Hai Jisko Chhupa Rahe Ho
Aankhon Mein Nami, Hansi Labon Par
Kya Haal Hai Kya Dikha Rahe Ho
Ban Jayenge Zehar Peete Peete
Yeh Ashq Jo Piye Ja Rahe Ho
Jin Zakhmon Ko Waqt Bhar Chala Hai
Tum Kyon Unhe Chhedhe Ja Rahe Ho
Rekhaon Ka Khel Hai Muqaddar
Rekhaon Se Maat Kha Rahe Ho
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो – जगजित सिंघ
स्वर – जगजित सिंघ
शायर – कैफी आझमी
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिसको छुपा रहे हो
तुम इतना…
आँखों में नमी हँसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो
क्या ग़म है…
बन जायेंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क़ जो पीते जा रहे हो
क्या ग़म है…
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो
क्या ग़म है…
करोगे याद तो हर बात याद आयेगी – भुपिन्दर
स्वर – भुपिन्दर
शायर – बशर नवाज़
करोगे याद तो हर बात याद आयेगी
गुज़रते वक्त की हर मोज़ ठहर जायेगी
करोगे याद तो, हर बात याद आयेगी
गुज़रते वक़्त की, हर मौज ठहर जायेगी
ये चाँद बीते ज़मानों का आईना होगा
भटकते अब्र में, चहरा कोई बना होगा
उदास राह कोई दास्तां सुनाएगी
बरसता-भीगता मौसम धुआँ-धुआँ होगा
पिघलती शमों पे दिल का मेरे ग़ुमां होगा
हथेलियों की हिना, याद कुछ दिलायेगी
गली के मोड़ पे, सूना सा कोई दरवाज़ा
तरसती आँखों से रस्ता किसी का देखेगा
निगाह दूर तलक जा के लौट आएगी
हंगामा क्युं है बरपा – गुलाम अली
स्वर – गुलाम अली
शायर – अकबर इलाहाबादी
मैं तेरी मस्तनिगाही का भरम रख लुंगा
होश आया तो भी कह दूंगा कि मुझे होश नहीं
हंगामा क्युं है बरपा थोडी सी जो पी है
डाका तो नहीं डाला चोरी तो नहीं की है
उस मय से नहीं मतलब दिल जिस से है बेगाना
मकसुद है उस मय से दिल ही मे जो खिंचती है
सूरज में लगे धब्बा फितरत के करिश्में हैं
बुत हमको कहें काफ़िर अल्लाह की मर्ज़ी है
नातजुर्बाकारी से वाईझ की ये बातें हैं
इस रंग को क्या जाने पूछो तो कभी पी है
हर ज़र्रा चमकता है अनवार-ए-इलाही से
हर सांस ये कहती है हम हैं तो खुदा भी है
प्यार का पहला खत लिखने में – जगजित सिंघ
स्वर – जगजित सिंघ
शायर – उपेन्द्र निराला
प्यार का पहला खत लिखने में वक़्क्त तो लगता है
नये परिंदों को उडने में वक्त तो लगता है
जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था
लँबी दूरी तय करने में वक्त तो लगता है
गाँठ अगर लग जाये तो फिर रिश्ते हों या डोरी
लाख करे कोशिश खुलने में वक्त तो लगता है
हमने इलाज-ए-ज़ख्म-ए-दिल तो ढूंढ लिया लेकीन
गहरे ज़ख्मों को भरने में वक्त तो लगता है
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